Saturday, June 23, 2012

Intezar

पहली बार जब देखा था तुम्हे कुछ अजीब सी लगी थी तुम
कुछ ज्यादा ही उजली थी तुम thodi सी चंचल थी 
aankhen तुम्हारी छोटी थी और जुल्फे तुम्हारी lambi थी
बातों मैं तुम्हारी जादू था और आवाज़ मैं खनक
चेहरे पर तुम्हारे मासूमियत थी और आँखों मैं चमक
कभी नहीं सोचा था मैंने कि प्यार में मैं पड़ जाऊंगा
kisi छोटी आँखों वाली लड़की का दीवाना मैं ban जाऊंगा

उस दिन जब तुम बीमार हुई मेरी tabiyat भी नासाज हुई
छह  कर भी छुपा न सका मैं अपने भावों को
और तुम्हारी निगाहों ने पड़ लिया मेरे जज्बातों को

उसके बाद तुम हमेशा असहज si राहती थी
मेरे आस-पास होकर भी तुम बात कभी न करती थी 
तुम्हारी ख़ामोशी से मेरी बेचैनी बढती थी
मैं लाख तुम्हे मनाता था और कभी तुम्हे सताता था
पर तुम टस से मस न hoti थी
आँखों से sab कुछ कहती थी पर फिर भी तुम चुप rahti थी

जब आखिरी बार mila था तुम्हे to सोचा था तुम बात करोगी
bahut गुस्सा करोगी और thoda प्यार भी
पर तुम उस दिन भी चुप थी तुम आज भी चुप हो
मैं तब भी बेचैन था मैं अब भी बेचैन hun
एक आखिर मुलाकात का इन्तेजार है मुझे
तुम्हारी ख़ामोशी टूटने का इंतज़ार है मुझे.

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