Sunday, January 22, 2012

Wo Corner Wali Seat

ये बात उन दिनों की है जब हम थे किसी कॉलेज में
सुबह से शाम तक लेक्चर पे लेक्चर,  
कुछ boring कुछ interesting  
ऐसे ही किसी bore lecture में, उस कॉर्नर वाली सीट पर बैठी लड़की का दीदार हुआ,
यूँ तो देखा था उन्हें पहले भी कई बार पर ये एहसास पहली बार हुआ.

उसमें कुछ खास था जो मेरे दिल के पास था.

यूँ तो उनसे पहले भी कई नाजनीन आई थी मुझे पसंद,
 पर उन सबमे था बहुत कुछ common
जैसे कि उनकी height, complexion और eyes.

पर ये कुछ अलग थी, कुछ different.

उसका हसना, उसकी बातें, उसकी जुल्फें और आँखे सब different.

वो कॉर्नर वाली सीट उसके लिए
riserve थी और center  वाली मेरे  लिए.

हर boring  लेक्चर में वो इकलोता attraction  थी
और हर  interesting  lecture   में वो इकलोता distraction  थी. 


जब lecture होता  physiology का में पड़ता उसकी psychology 
कब हस्ती है, क्यूँ हस्ती है, क्या पसंद है, क्या नापसंद, 
बस इसमें थी मेरी दिलचस्पी.


हर poor joke पे वो खिलखिला कर हस्ती 
और हर बार मेरी नज़र बस उस पर जा अटकती.

कुछ अलग सी थी आवाज़ उसकी,
और अदा भी थी जुदा,
यूँ तो थी वो नाजुक परी,
पर हो जाती थी कभी खफा.

गुस्से में उसकी आँखे हो जाती थी कुछ और बड़ी,
और गुलाबी रंग उसका कुछ और निखर जाता था. 

Sorry यार chill   मार फिर नही करूँगा god   promise  
कभी icecream   कभी  chocolate 
 बस ऐसे में उसे मनाता था
और इस रूठने मानाने में दिन गुजर जाता था. 

उसके बिन दिन होते तनहा,
और रातें भी होती सूनी 
और उन सूनी रातों में याद बहुत वो आती थी. 

फिर कभी   sms कभी  missed   call    
जब   control  न हो तो करता था मैं call  .


अपने  emotions के बारे में मैंने न कभी कुछ जताया था
पर सब जानती हूँ मैं, ऐसा उसने मुझे बताया था.

और उसके बाद बदल गया था हमारे बीच सब कुछ,
अब में रहता था चुप न वो कहती थी कुछ.

कभी वो मुझसे नजरें चुराती कभी में उसे देख पलट जाता,
   
अजीब सी situation   थी न कोई   solution  था.   
 
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वो कॉर्नर वाली सीट अब भी है
पर नहीं है वो वहां 
lecture अब भी  boring   हैं पर वो  attraction  कहाँ 
lecture अब भी  interesting हैं
पर वो distraction  कहाँ
रातें अब भी तनहा हैं पर साथ मेरे वो कहाँ 

वो कॉर्नर वाली सीट अब भी है पर नहीं है वो वहां.......  

         



  

2 comments:

  1. First you tell me, who is this corner wali seat?

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  2. its superb... i donno hw cum sum1 cn write such a big poem...may b its bcoz of d inspiration behind it....

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