ये बात उन दिनों की है जब हम थे किसी कॉलेज में
सुबह से शाम तक लेक्चर पे लेक्चर,
कुछ boring कुछ interesting
ऐसे ही किसी bore lecture में, उस कॉर्नर वाली सीट पर बैठी लड़की का दीदार हुआ,
यूँ तो देखा था उन्हें पहले भी कई बार पर ये एहसास पहली बार हुआ.
उसमें कुछ खास था जो मेरे दिल के पास था.
यूँ तो उनसे पहले भी कई नाजनीन आई थी मुझे पसंद,
पर उन सबमे था बहुत कुछ common
जैसे कि उनकी height, complexion और eyes.
पर ये कुछ अलग थी, कुछ different.
उसका हसना, उसकी बातें, उसकी जुल्फें और आँखे सब different.
वो कॉर्नर वाली सीट उसके लिए
riserve थी और center वाली मेरे लिए.
हर boring लेक्चर में वो इकलोता attraction थी
और हर interesting lecture में वो इकलोता distraction थी.
जब lecture होता physiology का में पड़ता उसकी psychology
कब हस्ती है, क्यूँ हस्ती है, क्या पसंद है, क्या नापसंद,
बस इसमें थी मेरी दिलचस्पी.
हर poor joke पे वो खिलखिला कर हस्ती
और हर बार मेरी नज़र बस उस पर जा अटकती.
कुछ अलग सी थी आवाज़ उसकी,
और अदा भी थी जुदा,
यूँ तो थी वो नाजुक परी,
पर हो जाती थी कभी खफा.
गुस्से में उसकी आँखे हो जाती थी कुछ और बड़ी,
और गुलाबी रंग उसका कुछ और निखर जाता था.
Sorry यार chill मार फिर नही करूँगा god promise
कभी icecream कभी chocolate
बस ऐसे में उसे मनाता था
और इस रूठने मानाने में दिन गुजर जाता था.
उसके बिन दिन होते तनहा,
और रातें भी होती सूनी
और उन सूनी रातों में याद बहुत वो आती थी.
फिर कभी sms कभी missed call
जब control न हो तो करता था मैं call .
अपने emotions के बारे में मैंने न कभी कुछ जताया था
पर सब जानती हूँ मैं, ऐसा उसने मुझे बताया था.
और उसके बाद बदल गया था हमारे बीच सब कुछ,
अब में रहता था चुप न वो कहती थी कुछ.
कभी वो मुझसे नजरें चुराती कभी में उसे देख पलट जाता,
अजीब सी situation थी न कोई solution था.
...............................................................................................
वो कॉर्नर वाली सीट अब भी है
पर नहीं है वो वहां
lecture अब भी boring हैं पर वो attraction कहाँ
lecture अब भी interesting हैं
पर वो distraction कहाँ
रातें अब भी तनहा हैं पर साथ मेरे वो कहाँ
वो कॉर्नर वाली सीट अब भी है पर नहीं है वो वहां.......